भारत में किसी भी वैवाहिक, भरण-पोषण, घरेलू हिंसा या पारिवारिक विवाद से जुड़े मामलों में पक्षकार (Litigants) को अदालत में अपनी आय, व्यय, परिसंपत्तियों और देनदारियों का सही विवरण प्रस्तुत करना होता है। इसे ही परिसंपत्ति एवं देनदारी का शपथपत्र (Affidavit of Assets & Liabilities) कहा जाता है।
यह शपथपत्र अदालत को पारदर्शिता सुनिश्चित करने और न्यायिक प्रक्रिया को सरल बनाने में मदद करता है। इस ब्लॉग में हम बताएँगे कि शपथपत्र में किन-किन सूचनाओं का उल्लेख आवश्यक है और उसका महत्व क्या है।
1. व्यक्तिगत सूचनाएँ (Personal Information)
शपथपत्र में आवेदक को अपनी पूरी व्यक्तिगत जानकारी देनी होती है, जैसे:
- नाम, आयु, लिंग
- शैक्षणिक एवं व्यावसायिक योग्यता
- वर्तमान और स्थायी पता
- वैवाहिक स्थिति और विवाह/पृथक्करण की तिथि
- मासिक व्यय जैसे किराया, घरेलू खर्च, चिकित्सा, शिक्षा और परिवहन आदि
2. विधिक कार्यवाहियाँ एवं भरण-पोषण का विवरण
- चल रही या पूर्ववर्ती अदालत की कार्यवाहियों का विवरण (जैसे घरेलू हिंसा अधिनियम, हिंदू विवाह अधिनियम इत्यादि के तहत)
- भरण-पोषण (Maintenance) या बाल सहायता (Child Support) संबंधी आदेश
- क्या आदेश का पालन किया गया है या कोई बकाया राशि है?
- किसी भी स्वैच्छिक अंशदान का विवरण
3. आश्रित परिजनों का विवरण
- पत्नी, बच्चे या अन्य आश्रित परिजन
- उनकी आयु, लिंग और संबंध
- उनकी शिक्षा, चिकित्सा और सामान्य व्यय का अनुमान
- क्या किसी आश्रित की कोई स्वतंत्र आय है?
4. चिकित्सीय विवरण
- क्या कोई पक्षकार या बच्चा गंभीर बीमारी या विकलांगता से ग्रसित है?
- यदि हाँ, तो चिकित्सा प्रमाणपत्र और खर्च का विवरण
5. बच्चों का विवरण
- बच्चों की संख्या, नाम और आयु
- किसके पास बच्चों की अभिरक्षा (Custody) है
- बच्चों के शिक्षा और भरण-पोषण पर होने वाला व्यय
- क्या किसी तीसरे पक्ष द्वारा आर्थिक सहायता मिल रही है?
6. आय का विवरण
- नियोक्ता का नाम और पदनाम
- मासिक आय
- वेतन पर्ची, बैंक स्टेटमेंट या फॉर्म-16 जैसे प्रमाण
- अन्य स्रोतों से आय (ब्याज, किराया, म्यूचुअल फंड, डिबेंचर आदि)
- पिछले 3 वर्षों के बैंक विवरण
7. परिसंपत्तियों का विवरण
- स्व-अर्जित संपत्ति
- पैतृक संपत्ति में हिस्सा
- विवाहोपरांत अर्जित संयुक्त संपत्ति
- आभूषण और स्त्रीधन
- अचल संपत्ति का स्वामित्व एवं किराये का विवरण
8. देनदारियों का विवरण
- लिए गए ऋण और बकाया राशि
- ईएमआई और उसका उद्देश्य
- मुकदमों के खर्च और अन्य आर्थिक दायित्व
9. स्व-नियोजित / व्यवसायी व्यक्तियों का विवरण
- व्यवसाय या पेशे का प्रकार
- शुद्ध आय
- बैलेंस शीट या आयकर विवरणी (यदि लागू हो)
10. अन्य पति/पत्नी की जानकारी
- शैक्षणिक और व्यावसायिक योग्यता
- रोजगार और आय का विवरण
- ज्ञात परिसंपत्तियों और देनदारियों का उल्लेख
11. अनिवासी भारतीय (NRI) या विदेश में रहने वाले पक्षकार का विवरण
- नागरिकता और निवास स्थान
- विदेशी मुद्रा में आय का विवरण
- विदेश में व्यय, कर देयता और अन्य दायित्व
12. घोषणा (Declaration)
शपथपत्र के अंत में पक्षकार यह घोषणा करता है कि –
- प्रस्तुत की गई सभी जानकारी पूर्ण और सत्य है
- यदि भविष्य में कोई बदलाव होगा तो अदालत को सूचित किया जाएगा
- असत्य कथन होने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 191, 193, 199 और 209 के अंतर्गत दंडनीय अपराध माना जाएगा
निष्कर्ष
परिसंपत्ति एवं देनदारी का शपथपत्र अदालत में निष्पक्ष सुनवाई और न्याय के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी पक्ष अपनी वास्तविक आय-व्यय और संपत्ति को छुपा न सके।
यदि आप किसी भरण-पोषण, तलाक, घरेलू हिंसा या अन्य पारिवारिक विवाद में सम्मिलित हैं, तो इस शपथपत्र को सही और पूर्ण रूप से भरना अनिवार्य है।